Explained: जहां आसमान से बरसती हैं धातुएं, वैज्ञानिकों ने खोजा ब्रह्मांड का सबसे खौफनाक ग्रह! – News18 हिंदी

Science News in Hindi: एस्ट्रोनॉमर्स ने बेहद गर्म और फूले हुए अजीब ग्रहों को लेकर बड़ी खोज की है. WASP-121b नामक एक्सोप्लेनेट पर रिसर्च करते हुए वैज्ञानिकों ने पाया कि यहां धातुओं की बारिश होती है. दिन के समय यह ग्रह बहुत गर्म हो जाता है. इसका तापमान 2,500°C (4,500°F) तक पहुंच जाता है. नई स्टडी में, वैज्ञानिकों ने पाया कि इस ‘अल्ट्रा-हॉट जुपिटर’ ग्रह की उत्पत्ति अपने तारे के बेहद करीब हुई होगी. Gemini South Telescope की मदद से की गई रिसर्च ग्रह निर्माण की मौजूदा समझ को चुनौती देती है.
हमारे सौरमंडल से परे है यह दुनिया
वैज्ञानिकों ने 1990s में पहली बार सौरमंडल के बाहर मौजूद ग्रहों (exoplanets) की खोज की. तब से अब तक 5,000 से ज्यादा एक्सोप्लेनेट खोजे जा चुके हैं. इनमें से कई हमारे सौरमंडल के किसी भी ग्रह से बिल्कुल अलग हैं. ‘हॉट जुपिटर्स’ ऐसे ही ग्रह हैं. ये गैस दानव (gas giants) हैं, जिनका आकार और द्रव्यमान बृहस्पति से कई गुना ज्यादा होता है. ये अपने तारे के इतने करीब होते हैं कि इनका ऑर्बिट केवल कुछ घंटों में पूरा हो जाता है.
अब तक खोजे गए एक्सोप्लैनेट्स में से लगभग एक-तिहाई हॉट जुपिटर्स हैं, जो बहुत ज्यादा गर्म होते हैं. इसीलिए इन्हें ‘रोस्टिंग मार्शमैलो’ कहा जाता है. अभी तक माना जाता रहा कि ये ग्रह पहले अपने तारे से दूर बनते हैं और फिर धीरे-धीरे अंदर की ओर माइग्रेट करते हैं. लेकिन WASP-121b पर हालिया स्टडी इस थ्योरी पर सवाल उठाती है.
नई खोज कर रही हैरान
वैज्ञानिकों ने Gemini South Telescope पर लगे Immersion GRating INfrared Spectrograph (IGRINS) का यूज किया. यह पहली बार था जब किसी ट्रांजिटिंग प्लैनेट का रॉक-टू-आइस रेश्यो (rock-to-ice ratio) एक ही इंस्ट्रूमेंट से मापा गया. आमतौर पर, इस तरह की गणना के लिए अलग-अलग इंस्ट्रूमेंट्स की जरूरत होती है, जिससे गलती होने का खतरा रहता है.
WASP-121b की खासियत
WASP-121b ग्रह पृथ्वी से लगभग 858 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है. इसका द्रव्यमान बृहस्पति से 1.2 गुना अधिक है, लेकिन यह इतना फूला हुआ (puffed-up) है कि इसका व्यास बृहस्पति से 1.9 गुना बड़ा है. यह अपने तारे के बेहद करीब है और केवल 1.3 पृथ्वी दिवस में एक कक्षा पूरी करता है. यह टाइडली लॉक्ड (tidally locked) है, यानी इसका एक पक्ष हमेशा अपने तारे की ओर रहता है और दूसरा हमेशा अंतरिक्ष की ओर.
इस ग्रह पर दिन का तापमान 2,500°C (4,500°F) तक पहुंच जाता है, जिससे इसकी सतह पर मौजूद धातुएं वाष्पित हो जाती हैं और इसकी वायुमंडलीय धाराओं में बहने लगती हैं. तेज 17,700 km/h (11,000 mph) की हवाएं इन धातु-युक्त वाष्पों को नाइटसाइड तक ले जाती हैं, जहां वे ठंडी होकर धातु, रूबी और नीलम (sapphire) की बारिश के रूप में गिरती हैं.’
कैसे बना यह ग्रह?
ग्रह निर्माण के पारंपरिक मॉडल्स के अनुसार, WASP-121b जैसे गैस दानव ग्रह अपने तारे से दूर ठंडे क्षेत्रों में बनते हैं. लेकिन इस स्टडी में पाया गया कि WASP-121b में चट्टानी पदार्थों का अनुपात बहुत अधिक था. WASP-121b का रासायनिक विश्लेषण बताता है कि यह इतनी गर्म जगह बना था कि वहां बर्फ जम ही नहीं सकती थी. इस खोज से वैज्ञानिकों को ग्रह निर्माण की मौजूदा थ्योरी पर दोबारा विचार करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.

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