इसे कहते हैं किस्मत, 6 करोड़ की लॉटरी जीतकर खरीदी जमीन, खेत खोदा तो निकले बेशकीमती सिक्के – News18 Hindi

नई दिल्‍ली. मालिक देता है तो छप्‍परफाड़ के देता है. यह कहावत केरल के बी. रत्नाकरण पिल्लै पर सटीक बैठती है. किस्‍मत जितनी मेहरबान उन पर हुई है, उतनी शायद ही किसी पर हो. साल 2018 में उन्‍होंने क्रिसमस बंपर लॉटरी के ड्रॉ में पूरे 6 करोड़ रुपये जीते थे. इतनी बड़ी रकम मिलने के बाद उन्‍होंने सब्जियां उगाने के लिए थोड़ी जमीन खरीदी. यह जमीन एक प्राचीन कृष्‍ण मंदिर के पास थी. जब सब्जियां लगाने को वे जमीन खोदने लगे तो उनका फावड़ा एक घड़े से टकराया. जमीन से घड़ा निकालकर जब उन्‍होंने उस पर लगा कपड़ा हटाया तो उनकी आंखे फटी की फटी रह गई. घड़ा तांबे के प्राचीन सिक्‍कों से भरा हुआ था. यह मामला हालांकि साल 2019 का है. लेकिन, अब एक इंस्‍टाग्राम यूजर के रत्‍नाकर पिल्‍ले की कहानी शेयर करने के बाद से ही यह सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है.
बी. रत्नाकरण पिल्लै तिरुवनंतपुरम के निकट किलीमानूर के निवासी हैं. साल 2018 में उन्‍होंने क्रिसमस बंपर ड्रॉ का टिकट खरीदा था. वे अक्‍सर लॉटरी टिकट खरीदते रहते थे, लेकिन 2019 से पहले कभी उनकी लॉटरी नहीं लगी. लेकिन, साल 2018 के अंत में खरीदे टिकट ने उन्‍हें मालामाल कर दिया. जब उनके पास पैसा आया तो उन्‍होंने लॉटरी में जीते पैसे में से कुछ रुपये लगाकर थिरुपाल्कडल श्री कृष्ण स्वामी क्षेत्रम के पास स्थित एक पुराने कृष्‍ण मंदिर के पास 27 सेंट उपजाऊ ज़मीन खरीदी.
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ऐसे मिला खजाना 
साल 2019 में एक दिन पिल्लै सुबह उस ज़मीन में मरिचीनी बोने के लिए खुदाई कर रहे थे, तभी उनका फावड़ा एक कठोर चीज़ से टकराया. थोड़ी खुदाई करने पर उन्हें एक मिट्टी का घड़ा मिला, जिसमें तांबे के हजारों सिक्के भरे हुए थे. घड़े में कुल 2,595 सिक्के थे जिनका कुल वजन 20 किलो 400 ग्राम था. उम्र के साथ हरे पड़ चुके इन सिक्कों को पुरात्‍तव विभाग ने त्रावणकोर के दो महाराजाओं श्री मूलम तिरुनाल राम वर्मा (1885–1924) और श्री चित्रा तिरुनाल बाला राम वर्मा (1924–1949)  के शासन काल से जुड़ा बताया. खजाना मिलने के तुरंत बाद, पिल्लै ने स्थानीय पुलिस को सूचना दी. पुलिस ने राज्य पुरातत्व विभाग के अधिकारियों को बुलाया. बाद में यह खजाना सरकार को सौंप दिया गया.
पिल्‍लै को मिला इनाम
केरल ट्रेजर ट्रोव एक्ट, 1968 की धारा 3 में कहा गया है कि 25 रुपये से अधिक मूल्य या ऐतिहासिक, पुरातात्विक या कलात्मक महत्व वाले किसी भी खजाने को खोजने वाले को, चाहे उसका मूल्य कुछ भी हो, उसे जिला कलेक्टर को सौंपना होगा या निकटतम सरकारी खजाने में जमा करना होगा. इसलिए पिल्‍लै का अपने खेत में मिला खजाना तो सरकार को सौंपना पड़ा, लेकिन सरकार ने उन्‍हें नियमानुसार इनाम जरूर दिया.

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